बेअदब
खुद से जब आँख मिलाता हूँ तो ग़ज़ल होती है दिल के हालात बताता हूँ तो ग़ज़ल होती है
सोमवार, 3 मई 2010
१.
गम
ये
नहीं
कि
ग़मों
का
समंदर
मिरे
आगे
गम
ये
कि
अब
हमें
कोई
गम
नहीं
होता
२
कब्र
में
आ
के
भी
बेअदब
निकला
अपनी
कौफिन
से
बड़ा
निकला
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