मंगलवार, 24 दिसंबर 2013

आज की कविता

मंज़िले ग़ाम पे पहुँचे तो सफ़र याद आया 
उड़ते पंक्षी को जैसे कि शज़र याद आया

बुधवार, 24 अप्रैल 2013

अजन्मी की गुहार 

लख चौरासी बाद जनम यह
मानुस जनम हमार  
पइयाँ पड़त बाबुल हमारा तोहरा 
जिनगी दई द उधार 

 मैं बिटिआ गरभ जनि मारहु 
मोहि परिखहु एक बार 
पइयाँ  दबइबो पनिया पिऐबो 
खएगा बनैबो तोहार 

मैं तोरी सोनचिरैया बाबुल 
करिहौं घर उजियार 
उड़ी जईहौं फिर फुर्र से एक दिन 
कर के नगर अन्हार

एकै बात समझ नहीं आवै 
कौन कसूर हमार 
काहे कन्हैया को पलना खेलाए 
पटक्यों मोहि पे पहार 

काहे बाबुल तिरछी बोलैं 
काहे भए उदास
काहे निठुर भइ मैया तुम भी 
मैं तो बिटिया तोहार
बागों में थे गुलाब अभी कल की बात है 
उजड़ा है ये दयार अभी कल की बात है

गुरुवार, 17 जनवरी 2013

जिस ख़्वाब  ख़्वाब गुजरी ये हयात नींद में ही
उस
ख़्वाब का तो दिल में ज़िक्रो बयाँ नहीं है

सोमवार, 14 जनवरी 2013

 जिस्म ही जिस्म देखा रूह का  पता नहीं है 
अक्स तो अक्स ही था मिरा तर्ज़ुमा नहीं है

मंगलवार, 1 जनवरी 2013



2013
शायद नई सुबह हो अबके
शायद नई खबर हो,
अबके शायद वो भी जागें
जिन्हें स्वप्न की बस लत हो.
शायद देख बहन बेटी को रोता अबके
आँखें कातिल की भी नम हों,
आखरी जन तक पहुँचे खुशियाँ अबके
शायद अबके यही प्रण हो.
शायद अबके  बूढ़े देश की अपनी
आँखें यूँ ना नम  हो 
नववर्ष आपका मंगलमय हो .
ओम प्रकाश मिश्र
I have tried to translate my poem:
(Probably this time we may see a new dawn.
  Probably there may be a new news this time
  Probably this time those can also be awaken
Who are addicted to dreams only
Probably this time after seeing weeping sisters/daughters
The eyes of Killer also may get wet
This time the happiness may reach to the last person
Probably this could be our commitment this time
Probably this time the eyes of my Old country
May not get wet as it happened
YOUR NEW YEAR MAY BECOME MANGALMAY.)
O.P.Mishra