बेअदब
खुद से जब आँख मिलाता हूँ तो ग़ज़ल होती है दिल के हालात बताता हूँ तो ग़ज़ल होती है
सोमवार, 14 जनवरी 2013
जिस्म ही जिस्म देखा रूह का पता नहीं है
अक्स तो अक्स ही था
मिरा
तर्ज़ुमा
नहीं है
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