सोमवार, 14 जनवरी 2013

 जिस्म ही जिस्म देखा रूह का  पता नहीं है 
अक्स तो अक्स ही था मिरा तर्ज़ुमा नहीं है

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें