बेअदब
खुद से जब आँख मिलाता हूँ तो ग़ज़ल होती है दिल के हालात बताता हूँ तो ग़ज़ल होती है
गुरुवार, 17 जनवरी 2013
जिस ख़्वाब
ख़्वाब
गुजरी ये हयात नींद में ही
उस
ख़्वाब
का तो दिल में ज़िक्रो बयाँ नहीं है
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