बुधवार, 24 अप्रैल 2013

अजन्मी की गुहार 

लख चौरासी बाद जनम यह
मानुस जनम हमार  
पइयाँ पड़त बाबुल हमारा तोहरा 
जिनगी दई द उधार 

 मैं बिटिआ गरभ जनि मारहु 
मोहि परिखहु एक बार 
पइयाँ  दबइबो पनिया पिऐबो 
खएगा बनैबो तोहार 

मैं तोरी सोनचिरैया बाबुल 
करिहौं घर उजियार 
उड़ी जईहौं फिर फुर्र से एक दिन 
कर के नगर अन्हार

एकै बात समझ नहीं आवै 
कौन कसूर हमार 
काहे कन्हैया को पलना खेलाए 
पटक्यों मोहि पे पहार 

काहे बाबुल तिरछी बोलैं 
काहे भए उदास
काहे निठुर भइ मैया तुम भी 
मैं तो बिटिया तोहार
बागों में थे गुलाब अभी कल की बात है 
उजड़ा है ये दयार अभी कल की बात है