बेअदब
खुद से जब आँख मिलाता हूँ तो ग़ज़ल होती है दिल के हालात बताता हूँ तो ग़ज़ल होती है
शनिवार, 3 जनवरी 2015
जानकीपुल: कलावंती की कविताएं
जानकीपुल: कलावंती की
साधारण लगने वाली संवेदानाएँ कलावंतीजी के शब्दों का अाश्रय पाकर असाधारण बन जाती हैं। यही बात मुझे अच्छी लगती है ा अौर यही बात उन्हें अौरों से अलग करती है।
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