बुधवार, 24 दिसंबर 2014

आज की ताजा ग़ज़ल
ग़म छुपा आँख में बस हँसा कीजिए
ज़िंदगी है किताब बस पढ़ा कीजिए

कब तलक अश्क बन के रुलाता रहे
ग़म गले से लगा मुस्कुरा दीजिए

दूर मंजिल नहीं बस यहीं पास है
बायकीं दो कदम तो चला कीजिए

कल कहाँ कौन हो ये किसे है खबर
आज का दिन तो है बस जिया कीजिए

मर्ज़े इश्क हुआ तो हुआ बस हुआ
अब दवा लीजिए या दुआ लीजिए

जाने मंज़िल कभी यूँ मिले ना मिले
आप तो बस सफ़र का मज़ा लीजिए