बेअदब
खुद से जब आँख मिलाता हूँ तो ग़ज़ल होती है दिल के हालात बताता हूँ तो ग़ज़ल होती है
मंगलवार, 24 दिसंबर 2013
आज की कविता
मंज़िले ग़ाम पे पहुँचे तो सफ़र याद आया
उड़ते पंक्षी को जैसे कि शज़र याद आया
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