खुद से जब आँख मिलाता हूँ तो ग़ज़ल होती है दिल के हालात बताता हूँ तो ग़ज़ल होती है
नूर अापका इस कदर लाजवाब है कि दिन में माहताब और रात में आफताब हैअभिषेक, रांची
नूर अापका इस कदर लाजवाब है कि दिन में माहताब और रात में आफताब है
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